“सोशल मीडिया युवाओ के लिए वरदान या अभिशाप”
कैसे लील रही है जिंदगी इन युवाओ ये सोशल मीडिया:–
बच्चो का भ्रम ;
बच्चे इस भ्रम में जी रहे हैं कि
अगर वो हल्की-फुल्की भी पढ़ाई कर लेंगे
तो उन्हें एक अच्छी जॉब लग जाएगी।
अब उन बच्चों को कौन समझाए कि
वक्त बदल चुका है। कंपटीशन बढ़ चुका है।
यहां लोग सब कुछ छोड़-छाड़ के
सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करते हैं।
और तुम सोचते हो कि थोड़ा सोशल मीडिया
के भी मजे ले लेंगे, थोड़ा घूम फिर भी ले लेंगे
और फिर पढ़ाई करके नौकरी भी ले लेंगे।
आज के युग में तो अब ऐसे नौकरी लेना
असंभव है।
सफलता आपके डिसिप्लिन पर निर्भर करता है।
अपने खुद की जिंदगी का प्लान करें और
अधिक पुस्तक पढ़े और अधिक ज्ञान प्राप्त करें।
आत्म शिक्षा ही आपको सफल बनाएगी।।
वरदान या अभिशाप;
दुनिया मे किसी चीज का आविष्कार कभी भी
अभिशाप के रूप मे नहीं किया गया जाता|
अबतक जीतने भी आविष्कारको ने अपने
आविष्कार किए उन सभी को अपने अविषकर
को लेकर एक समाज के लिए बेहतर मंशा ही
रही है| कोई भी बस्तु एक अच्छे और भले उद्देश्य
से बनी जाती है| लेकिन वह बस्तु वरदान साबित
होगी या अभिशाप ये तो उस ब्यक्ति के हाथो मे जाने
के बाद पता चलेगा कि उस ब्यक्ति ने उस बस्तु का किस
तरह से इस्तेमाल किया|
सोशल मीडिया पर जिस प्रकार निर्भर्ता इस वक्त लोगो
कि है उसे देखकर तो अनुमान लगाया जा सकता है
कि भविष्य मे सबसे अधिक विकसित प्लेटफॉर्म
सोशल मीडिया का ही होने वाला है|
भले ही आज कल सारे काम सोशल मीडिया पर
होते है लेकिन हमे अपना कम से कम समय सोशल
मीडिया को देना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा समय
भौतिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए|
सोशल मीडिया के सीमित और सही इस्तेमाल से
ही ये एक वरदान कि तरह साबित होगा|
अन्यथा सोशल मीडिया को अभिशाप बनाने
से कोई नहि रोक सकता|