जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर” पर भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध,
भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधिया (रोकथाम) अधनियम (UAPA)-1967 की धारा 3(1) की तहत |
केंद्र सरकार ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध 5 साल के लिए बड़ा दिया| ये जानकारी अपने X-अकाउंट पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दी, उन्होंने कहा की देश की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बड़ी करवाई की जाएगी |
अमित शाह जी कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की आतंकवाद और अलगावाद को कतई बरदास नहीं किया जायेगा, इस निति के तहत भारत सर्कार निति का पालन करते हुए जमात-ए-इस्लाम पर प्रतिबंध लगा बढ़ा दिया| गृह मंत्री ने कहा कि संगठन को राष्ट्र कि सुरक्षा, अखंडता और सम्प्रभुता के खिलाफ अपनी गतिविधिया जारी रखते हुए पाया गया| इसे पहली बार 28 फरवरी 2019 को गैरकानूनी संगठन घोषित किया गे था|
एक अधिनियम में केंद्रीय गृह मंत्रलाय ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में उन गतिबिधियो में शामिल रह है जो आंतरी सुरक्षा और सार्वजानिक व्यवस्था के लिए हानिकारक है और देश कि एकता और अखंडता को बाधित कर सकते है| गृह मंत्रालय ने जमात ए इस्लामी के खिलाफ दर्ज 47 मामलो को सूचीबद्ध किया है और इसमें हिंसक और अलगाववादी गतिविधिओ को प्रोत्साहित करने के लिए इस्तेमाल किये धन संबंधी मामले में NIA कि जांच शामिल है।
“जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और भारत बिरोधी प्रचार में शामिल है।”
इससे पहले संगठन को पहली बार 28 फरवरी 2019 को गैरकानूनी सगठन घोषित किया गे था। आखिरी प्रतिबंध पुलवामा हमले (14 फरवरी 2019) के कुछ दिनों बाद 28 फरवरी 2019 को गया था, जिसमे CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके अंतर्गत जम्मू कश्मीर में इस संगठन के प्रमुख अब्दुल हामिद फैयाज सहित 100 से अधिक लोगो को गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को जारी बयान में गृह मंत्रालय ने कहा कि कि अलगाववाद और आतंकवाद और भारत बिरोधी प्रचार का बढ़ावा करने वाले संगठन को जल्द से जल्द प्रतिबंध किया जाय।
जम्मू कश्मीर में 15 स्थानों पर छापेमारी:-
इसमें कहा गया कि जमात ए इस्लाम जम्मू कश्मीर और उसके सदस्यों के खिलाफ गैरकानूनी गतिबिधियो (रोकथाम) अधिनियम-1967 सहित कानून कि बिभिन्न धाराओ के तहत कई आपराधिक मामले दर्ज किये है। इस महीने कि शुरुआत में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने आतंकी फंडिंग के मामले में 15 स्थानों पर छापेमारी कि। NIA प्रवक्ता ने खा कि जम्मू कश्मीर और जम्मू कि जुड़वाँ राजधानी के साथ साथ मध्य में बड़गाम और दक्षिण कश्मीर में कुलगाम और अनंतनाग में छपे मरी के दौरान ट्रस्ट से संबंद्धित ट्र्स्ट कि गतिबिधियो से जुडी आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण और 20 लाख रूपये से अधिक कि धनराशि को जब्त किया गया।
जमात-ए-इस्लामी का इतिहास:–
पहली बार 1990 में प्रतिबंध का सामना कारन पड़ा, जब उसने बिभिन्न कश्मीरी समूहों के साथ मिलकर शांतिपूर्ण संघर्ष कि वकालत करने से हटकर भारत सरकार के खिलाफ सशत्र बिद्रोह का समर्थन करना शुरू कर दिया। यह परिवर्तन भारतीय राज्य द्वारा बढ़ते दमन और सशस्त्र प्रतिरोध में शामिल न होने पर JKLF कि लोकप्रियता खोने के डर से प्रेरित था। प्रतिबंद ने JEI स्कूलों कि देख रेख के लिए 1988 में स्थापित फ़लाह ए आम ट्रस्ट के लिए मार्गprsat किया। इससे पहले 1989 में हिज्बुल मुजाहिदीन JEI का उग्रवादी विंग बांया गया था और 1990 तक HAM ने एक मुख्य कमांडर घोषित कर दिया। 1950 के दशक में संगठन के बिस्तार का बिरोध का सामना करना पड़ा, फिर भी नेशनल कांफ्रेंस के शासन से असंतोष और कश्मीरी लोगो से किये वादों को पूरा करने के लिए कथित बिफलता के कारण इसे समर्थन मिला। जमात ने सूफीवाद से मोहभंग कर चुके निम्न माध्यम वर्ग के युवाओ से आधुनिक और धार्मिक शिक्षा कि वकालत कि। बिरोध कि सामना करने के बावजूद का उद्देश्य शिक्षा और राजनितिक भागीदारी, दान और सदस्यों फीस से प्राप्त धन से कश्मीरीओ को प्रभावित करना था। 1980 के दशक में जमात को चुनौतिओं का सामान कारण पड़ा, जिसमे 1979 में बड़े पैमाने पर जमात बिरोधी आंदोलन और जनरल जिआ उल हक़ के सत्ता में आने में इसकी भागीदारी के आरोप शामिल थे।